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शिक्षक दिवस की अद्भुत शायरी

 जब जब मेरा आकार डगमगाया है,

तब तब वह फरिश्ता बनके आया है |

कि कुम्हार तो मिट्टी को आकार देता है, 

परंतु हुजूर, यह शिक्षक है, बच्चों के जीवन को साकार बनाता है |

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